प्रसव के बाद स्तन में दूध कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय

कल्याण आयुर्वेद- हर महिला के लिए मातृत्व सुख सबसे खूबसूरत पलों में से एक है. इतने दर्द से गुजरने के बाद शिशु को जन्म देना हमेशा उनके लिए खास ही होता है. इसी कारण गर्भावस्था और प्रसव के साथ बहुत सारे डर जुड़े हुए हैं. शिशु को ठीक से स्तनपान न करा पाने का डर उनमें से एक है. एक बच्चे की नाजुक प्रकृति और एक माँ की अपने शिशु को दूध पिलाने की जिम्मेदारी स्तन के दूध की मात्रा में कमी को एक नाजुक मुद्दा बनाती है.

प्रसव के बाद स्तन में दूध कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
प्रसव की शुरुआती दिनों में मां के स्तन में दूध की मात्रा में कमी होने का कारण स्तन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. मां के स्तन में दूध की मात्रा में कमी होने की बात तब कही जाती है जब वह अपने नवजात शिशु की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होती है. 

इसमें महिला के स्तनों से दूध बहुत ही कम मात्रा में आता है. स्तन मुरझा जाते हैं और स्तनों में दूध के कम आने से बच्चे का पेट नहीं भरता है जिसके कारण वह भूख से चिल्लाता रहता है.

प्रसव के बाद स्तनों में दूध कम आने के कारण-

प्रसव के बाद स्तन में दूध कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
प्रसव के बाद स्तनों में दूध कम आने के अनेक कारण हो सकते हैं. इसका मुख्य कारण माता के शरीर में खून की अत्यधिक कमी का होना अथवा जब शरीर से रक्त की पर्याप्त मात्रा रक्त स्राव द्वारा निकल जाती है. जब माता के शरीर में शुद्ध रक्त की उत्पत्ति बहुत ही कम होती है. तब स्तनों में भी दूध कम ही बनता है. इसके अलावा रक्त विकार और अतिरज, अपरा का अधिक समय तक गर्भाशय के अंदर पड़ा रहना, प्रसूति संक्रमण और स्तनों में रक्त संचार की कमी है. क्रोध चिंता आदि के कारण भी स्तनों में दूध कम उत्पन्न होता है. इसके अलावा खाद्य संवेदनशीलता या एलर्जी, कुछ तंत्रिका संबंधी स्थितियों के कारण शिशु को सांस लेने में तकलीफ या उसे निगलने में कुछ समस्या हो सकती है. मोटापा भी शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया को धीमा होने का कारण हो सकता है. धूम्रपान करने से दूध की पर्याप्त मात्रा बनने में कठिनाई पैदा हो सकती है. शिशु के जन्म के समय तनाव, जन्म नियंत्रण के लिए उपयोग की जाने वाली हार्मोनल दवा दूध की मात्रा में कमी का कारण बन सकती है. कुछ दवाओं के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है.

प्रसव के बाद मां के स्तन में दूध की कमी के लक्षण-

मां के स्तन में दूध की मात्रा में कमी के लक्षण होते हैं जो शिशु द्वारा तब प्रदर्शित किए जाते हैं जब उन्हें प्रचुर मात्रा में दूध नहीं मिल पाता है. दुर्भाग्य से कई माता-पिता अक्सर उसे विकास प्रक्रिया समझ कर भ्रमित हो जाते हैं इन परिवर्तनों में से कुछ हैं-

बच्चा नियमित रूप से मल विसर्जन नहीं करता है जो दिन में लगभग 5- 6 बार होना चाहिए. कम मात्रा में और सरल मल विसर्जन जैसे संकेत जो बताते हैं कि बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिल पा रहा है.

बच्चा नियमित अंतराल पर पेशाब नहीं कर रहा है. एक नवजात शिशु दिन में 8 से 10 बार अपना डायपर गिला करता है. यदि वह इससे कम बार पेशाब करता है तो यह संकेत बताता है कि बच्चे को पर्याप्त दूध नहीं मिलता रहा है.

अगर शिशु के मूत्र का रंग गहरा पीला है तो इससे पता चलता है कि बच्चा पर्याप्त रूप से हाइड्रेट नहीं हो पाया है और उसे अधिक पानी की आवश्यकता है. जिसकी पूर्ति जन्म के 6 महीने तक केवल मां के दूध से ही की जा सकती है.

शिशु के वजन में वृद्धि नहीं हो रही है और वह कमजोर हो रहा है. पर्याप्त दूध प्राप्त करने वाले शिशु का औसत वजन 1 सप्ताह में नियमित रूप से 4-5 साउंड की दर के बढ़ना चाहिए.

प्रसव के बाद स्तनों दूध की कमी दूर करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय-

प्रसव के बाद स्तन में दूध कम होने के कारण, लक्षण और बढ़ाने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
1 .सबसे पहले जिस कारण से स्तन में दूध नहीं हो रहा है उसे दूर करें. महिला को दूध, मक्खन, मलाई, गेहूं का दलिया, बिनोले की खीर, प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करना लाभकारी होता है, साथ ही नींद में बच्चे को दूध पिलाने की आदत ना डालें.

2 .स्तनों पर कैस्टर आयल की मालिश कराने से लाभ होता है.

3 .सौंफ और श्वेत जीरा बराबर मात्रा में लें और उसका चौथाई भाग काला नमक लेकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण को 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराने से दूध बढ़ने लगता है.

3 .साठी चावल, शतावर, सफेद जीरा इन सब को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पावडर बनाकर सुरक्षित रख लें. इस चूर्ण में 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री एवं दूध के साथ सेवन कराने से पर्याप्त दूध बढ़ने लगता है.

4 .विदारीकंद का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध तथा मिश्री के साथ पिलाते रहने से दूध बढ़ने लगता है.

5 .वनकपास, गन्ने का मूल चूर्ण कर कांजी अथवा विदारीकंद मदिरा के साथ पीने से प्रसूता महिलाओं का दूध बढ़ने लगता है.

6 .हरिद्रादि क्वाथ अथवा बचादि क्वाथ को दूध बढ़ाने के लिए प्रसूता को पिलावें. 

7 .कलंबुक का रस मिलाकर तेल से अच्छी तरह सिद्ध करें. और उस तेल का प्रसूता महिला को सेवन कराने से पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पन्न होने लगता है.

8 .दूध भात को खाने वाली महिला बायबिडंग से सिद्ध किया हुआ दूध तीन दिन तक सेवन करें तो दूध बढ़ने लगता है.

9 .जड़हन धान के चावल का चूर्ण 3 दिन तक दूध के साथ सेवन करने से स्तन में दूध बढ़ने लगता है.

10 .जड़हन धान, साठी चावल, दर्भ, गन्ना, कुश,कास, नल गोंदपटेल, इक्षुबालिका- इन सभी द्रव्यों के जड़ के सेवन से महिला का दूध बढ़ता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरूर लें. धन्यवाद.

Post a Comment

0 Comments