कल्याण आयुर्वेद- हर मां- बाप के लिए बच्चे प्यारे होते हैं और उन्हें जब कोई भी बीमारी या कष्ट हो जाता है तो वे परेशान हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें पता नहीं लगता है कि आखिर शिशु क्यों रो रहा है और उसे क्या कष्ट या बीमारी है. ऐसे में अगर थोड़ा बहुत कुछ रोग के होने के संकेत या कौन सा रोग हो गया है के विषय में जानकारी हो तो वे बिना देर किए डॉक्टर तक पहुंच सकते हैं और सही समय पर बच्चे को इलाज करवा सकते हैं.
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कैसे जाने कि शिशु को कौन सी बीमारी हो गई है या होने वाली है |
आज हम इस लेख में अगर बच्चा ( शिशु ) रो रहा है या कोई कष्ट में है तो उसे कौन सी बीमारी हो गई है या होने वाली है के कुछ संकेतों के बारे में बात करेंगे.
चलिए जानते हैं विस्तार से-
50 वर्षों के अनुभव तथा खोजों के बाद डॉक्टर ह्यू फ्लैंड ने लिखा है कि शिशु चिकित्सा चिकित्सा शास्त्र का एक आवश्यक अंग है क्योंकि समस्त रोगों के तृतीयांश ही शैशावस्था में प्रकट हुआ करते हैं. अनेक चिकित्सक वयस्कों की चिकित्सा में निपुण होने के बाबजूद भी शिशुओं की चिकित्सा में असफल हुआ करते हैं. ऐसे में यदि शिशुओं के माता- पिता शिशुओं के लक्षणों के बारे में डॉक्टर को बताते हैं तो चिकित्सा करने में आसानी होने के साथ ही बच्चे को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है.
शिशुओं को कौन सी बीमारी हो गयी है या होने वाला है के संकेत ( लक्षण ) क्या होते हैं ?
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कैसे जाने कि शिशु को कौन सी बीमारी हो गई है या होने वाली है |
2 .शिशु के शरीर के जिस अंग में कष्ट होता है उस अंग को शिशु बार- बार छूता है और रोता है.
3 .बच्चे को वस्ति ( bladder ) में कष्ट होने पर उसे मुत्रसंग हो जाता है. दर्द हो जाता है और गला सुख जाता है तथा बच्चा मुर्छित हो जाता है.
4 .बच्चा स्वाभाविक से अधिक लगातार रोता ही रहे तो उसे सर्वांग शूल ( पुरे शरीर में दर्द ) या समस्त शरीर में बुखार समझना चाहिए.
5 .यदि बच्चे को सिर में दर्द है तो वह आँख नही खोलता है बंद रखता है, गर्दन को गिराए रखता है सिर खड़ा नही रखता है और अपने हाथ को बार- बार सिर पर ले जाता है.
6 .यदि बालक स्वस्थ है लेकिन बार- बार रो उठे तो उसके पेट में दर्द समझें.
7 .रात में बच्चा सोये नही और रोता रहे तो उसके शरीर की जांच करें संभव है कहीं कोई चीटी आदि कटती हो या कोई फोड़ा आदि निकलता हो या पेट में दर्द हो सकता है.
8 .मल- मूत्र रुक गये हों, आंते बोलती है, अफारा हो तो पेट में दर्द समझें.
9 .प्यास बहुत लगे, मूर्छा हो और पेशाब नही होता हो तो समझें की उसके पेडू में दर्द है.
10 .यदि बालक बोलता नही हो बार- बार मुंह खोले, जीभ बाहर निकाले तो समझें वह प्यासा है.
11 .जुकाम हो जाने पर नाक बंद हो जाने से बच्चा नाक से साँस नही ले पाता है.मुंह से सांस लेता है. स्तनपान करते समय बार- बार स्तन छोड़कर मुंह से सांस लेता है.
12 .ह्रदय में दर्द हो तो बच्चा होठ चबाता है और मुठ्ठियाँ जोर से बांधकर रखता है.
13 .बच्चे के माथे पर सलवटें पड़ जाए, सोता- सोता चौक उठे और खांसने लगे या किसी समय सिसकियाँ लेने लगे तो समझें की उसकी सांस की नली में कोई विकार है.
14 .छाती, पसली और फेफड़े के दर्द, न्युमोनिया में बच्चा खांसते समय बहुत रोता है.
15 .यदि बच्चे के माथे पर सलवटें पड़े और न सोये तो उसके आमाशय में विकार है समझें.
16 .बच्चे की जीभ मैली हो, मल का रंग कुछ काला सा हो या हर हो या फटा- फटा सा हो दुर्गंधित हो तो समझें कि उसका यकृत ख़राब है और उसकी आंते साफ नही है.
17 .बच्चे का जल्दी- जल्दी मुंह खोलकर सांस लेना, सांस लेते समय नथनों का फूलना, छाती में सांय- सांय का शब्द होना यह बताता है कि बच्चे को न्युमोनिया हो गया है.
18 .यदि बच्चे को कान में दर्द हो तो वह अपनी अंगुली बार- बार कान की तरफ ले जाता है या कान में लगाता है.
19 .यदि बच्चे के पेशाब में सफ़ेद सी कोई चीज बैठ जाए तो समझें कि बच्चे के पेट में बिगाड़ है या उसके माँ के खानपान में अधिक गर्म चीज शामिल है.
20 .यदि बच्चे को बुखार हो और बार- बार छींके, खांसे और चेहरे का रंग लाल हो तो समझें उसे खसरा या चेचक निकलने वाला है.
21 .यदि बच्चा सोता- सोता दांत पिसें या नाक खुजलाये या शौच या मूत्र त्यागने के स्थान को अधिक मलता रहे तो समझे कि उसके पेट में कृमि ( कीड़े ) हैं.
22 .यदि बुखार हो तो मुंख ( चेहरा ) लाल हो जाता है.नाड़ी तेज चलती है शरीर गर्म हो जाता है.
23 .यदि बच्चे के मल में साबूदाने के समान सफ़ेद पदार्थ पाया जाता है तो समझें
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