जानिए खांसी क्या है ? कितने प्रकार की होती है और लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार

कल्याण आयुर्वेद- वैसे तो अक्सर खांसी सर्दियों के मौसम में अधिक होती है. लेकिन यह कई बीमारियों की जड़ भी हो सकती है. अगर खांसी का इलाज सही समय पर नहीं किया गया तो आपको यह कई बीमारियां उत्पन्न कर सकती है. यदि उपचार के बाद भी खांसी जल्दी ठीक ना हो तो इसे मामूली समझने की बिल्कुल भी भूल नहीं करना चाहिए.

जानिए खांसी क्या है ? कितने प्रकार की होती है और लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार

खांसी क्या है ?

मुंह तथा नाक में धुंआ या धुल की धसक लगने से, अत्यंत परिश्रम, रुक्षान भक्षण, भोजन करते समय नकार लगना, पेशाब तथा छींकों को रोकने से प्राणवायु दूषित होकर उदान वायु के साथ मिलकर कांसें के फूटे बर्तन के सामान आवाज मुख से निकलती है उसे खांसी कहा जाता है.

आयुर्वेद के अनुसार खांसी 5 प्रकार की होती है.

वातज, पीतज, कफज, छाती क्षय तथा क्षय.

वातज खांसी के लक्षण- ह्रदय, कनपटी, छाती, पसली तथा पेट में दर्द, कफ खुश्क एवं बल, ओज तथा स्वर क्षीण होना.

सामान्य चिकित्सा- बथुआ, मकोय, मूली, चौलाई का साग, गन्ने का रस, खट्टे, मीठे, खारी, नमकीन तथा गुड़ से बने पदार्थ खाना फायदेमंद है.

पितज खांसी के लक्षण- ह्रदय में दाह, शोथ, बुखार, मुंह का स्वाद कड़वा, तृषा, पीली तथा चरपरी वामन, शरीर में पीलापन तथा जलन के साथ खांसी होना.

सामान्य चिकित्सा- छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, अडूसा, दाख, कचूर, सुगंध बाला, सोंठ तथा पीपल का क्वाथ मिश्री डालकर पीना फायदेमंद होता है. 

कफज खांसी के लक्षण- मुंह में कफ का ल्हिसाव, सिर तथा शरीर भरी होना, अरुचि, गले में खुजली होना तथा बार- बार गाढ़ा कफ निकलना.

सामान्य चिकित्सा- पीपल, कायफल, सोंठ, काकड़ासिंगी, भारंगी काली मिर्च, काटेरी, संभालू, अजवाइन, चिता, अडूसा का क्वाथ में पीपल का चूर्ण डालकर पीने से ठीक होता है.

जानिए खांसी क्या है ? कितने प्रकार की होती है और लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार

क्षतज खांसी के लक्षण- अत्यंत मैथुन, भारी बोझ उठाना,कठोर परिश्रम, तेज दौड़ना इत्यादि भारी काम करने से ह्रदय में क्षत ( घाव ) हो जाता है. क्षत की खांसी रसयुक्त, जोड़ों में दर्द, श्वास ( हांफ ) तृषा तथा बुखार उत्पन्न कर देती है. साथ ही गला बैठ जाता है.

सामान्य चिकित्सा- ईख, नरसल, पद्माख, कमल की जड़, चन्दन, मुलेठी, पीपल, दाख, काकड़ासिंगी, शतावर. ईख से दुगुनी वंशलोचन, सबसे चौगुनी मिश्री मिलकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से ठीक होता है.

क्षयज खांसी के लक्षण- रोगी के शरीर में दर्द, बुखार, मोह, दाह ( जलन ) इन्द्रियों की क्षीणता, खांसी में खून आना, बल ( ताकत ) तथा मांस क्षीणता आदि  क्षयज खांसी के लक्षण हैं. इसे टीबी कहते हैं. 

सामान्य चिकित्सा- लोहे के चूर्ण ( लौह भस्म ) को अडूसे के रस से बार- बार भावना देकर शहद, घी और मिश्री के साथ चाटने से क्षयज खांसी नष्ट होता है.

खांसी नाशक अन्य योग-

1 . शुद्ध मैनसिल को पानी में पीसकर बेरी के पत्तों पर लेप करके सुखा लें. इसके बाद चिलम में गंजा की तरह पीने से भयंकर खांसी नष्ट होती है.

2 . काटेरी के क्वाथ में पीपल का चूर्ण डालकर पीने से सब प्रकार की खांसी ठीक हो जाती है.

3 . लौंग 5 ग्राम, जायफल 5 ग्राम, पीपल 5 ग्राम,कालीमिर्च 10 ग्राम,सोंठ 80 ग्राम सभी को पीसकर चूर्ण बना लें अब शहद की मदद से बड़ा मटर के बराबर गोली बना सुखाकर रखें . अब 1 से 2 गोली सुबह- शाम चूसकर खाएं. इन गोलियों के सेवन करने से सब प्रकार के खांसी, बुखार, अरुचि, प्रमेह, गुल्म, श्वास, मन्दाग्नि तथा गृहणी में तुरंत लाभ होता है.

4 . सोंठ, कालीमिर्च, सेंधानमक, शुद्ध मेंसिल, भाभिरंग, कूठ, भुनी हुई हींग बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. अब 1/2 ग्राम की मात्रा में सुबह- शाम चाटने से हर प्रकार की खांसी और हिचकी दूर होती है.

5 . छोटी हरे, पीपल, सोंठ तथा कालीमिर्च का चूर्ण बनाकर गुड़ के साथ सेवन करने से कफ युक्त खांसी नष्ट होती है.

6 . कालीमिर्च 5 ग्राम, यवाक्षार 2.5 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, अनार दाना 20 ग्राम को चूर्ण बनाकर गुड़ 40 ग्राम में मिलाकर थोड़ा- थोड़ा दिन में 3 बार चाटने से किसी भी प्रकार की खांसी ठीक होती है.

7 . पीने वाली तम्बाकू के लकड़ी को जलाकर निर्धूम राख बनाकर 150 मिलीग्राम उतनाही सेंधानमक मिलाकर खाने से भयंकर खांसी तथा काली खांसी ठीक होती है.

खांसी की आयुर्वेदिक औषधि-

जानिए खांसी क्या है ? कितने प्रकार की होती है और लक्षण एवं आयुर्वेदिक उपचार
1 . मिर्चादी वटी.

2 .लवंगादि वटी.

3 .पिपल्यादि वटी.

4 .व्योसादि वटी.

5 .बबूलादि वटी.

6 . समीर गजकेसरी.

7 .महाकालेश्वर रस.

8 .समूह रस.

9 .कंटकार्यावलेह.

10.भृगु हरीतकी अवलेह.

11. वासावलेह.

12 .मेथी पाक.

13 .सितोपलादि चूर्ण.

14 .श्रृंगी घृत.

15 .मृगश्रृंग भस्म.

16 . च्यवनप्राश.

17. श्वासकुठार रस.

18 .बबुलारिष्ट.

19.कनकासव.

20 .दशमूलारिष्ट.

इत्यादि आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक के सलाहानुसार सेवन करने से किसी भी प्रकार की खांसी ठीक हो जाती है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उदेश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह जरुर लें. धन्यवाद.

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