चिंता मुक्त कर देने वाली गौतम बुद्ध के 25 उपदेश

 गौतम बुद्ध संसार को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले महापुरूषों में से एक हैं। उनका शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। गौतम बुद्ध का जन्‍म लुम्बिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्‍वाकु वंश के क्षत्रिय राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। उनकी मां का नाम महामाया था। जो गौतम बुद्ध के जन्‍म के 7 दिन बाद ही गुजर गई थी। उनका पालन पोषण महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजावती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयु में सिद्धार्थ विवाह के उपरांत अपने नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्‍नी यशोधरा को त्‍यागकर संसार को दुखों से मुक्ति दिलाने की मार्ग की खोज में वन की ओर चले गये। वर्षो की कठोर साधना के पश्‍चात् बोधगया विहार में बाेधिवृक्ष के नीचे उन्‍हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गये। महात्‍मा बुद्ध की शिक्षाएं आदिकाल से मानव समाज का मार्गदर्शन करती आई हैं। चलिए जानते है चिंता मुक्त कर देने वाली गौतम बुद्ध के 25 उपदेश-

चिंता मुक्त कर देने वाली गौतम बुद्ध के 25 उपदेश

 
1 .चिंता करोगे तो भटक जाओगे, चिंतन करोगे तो भटके हुए मन को रास्‍ता दिखाओगे।

2 .हर दिन अच्‍छा नहीं हो सकता। लेकिन हर दिन कुछ अच्‍छा किया जा सकता हैं।

3 .हार मत मानो, क्‍योंकि शुरूआत हमेशा सबसे कठिन होती हैं।

4 .जीवन मिलना भाग्‍य की बात है, मृत्‍यु होना समय की बात है। पर मृत्‍यु के बाद भी लोगों के दिलों में जीवित रहना, ये कर्मों की बात हैं। 

5 .एक जलते हुए दीपक से, हजारों दीपक रोशन किए जा सकते हैं। फिर भी उस दीपक की राेशनी कम नहीं होती। उसी तरह खुशियां बांटने से बढ़ती हैं, कम नहीं होती।

6 .हर दिन नया होता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कल कितना मुश्किल था, आप हर दिन नई शुरूआत कर सकते हैं।

7 .जैसे मोमबत्‍ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्‍य आधात्मिक जीवन के बिना नहीं रह सकता। 

8 .यदि हम अपनी समस्‍या का हल निकाल सकते हैं, तो फिर चिंता करने की क्‍या जरूरत। और यदि समस्‍या का कोई हल ही नहीं, तो फिर उसकी चिंता करने से कोई फायदा नहीं।

9 .दूसरों को क्षमा करें, इसलिए नहीं कि वह क्षमा का हकदार है बल्कि इसलिए कि आप शांति के हकदार हैं।

10 .जैसे ठोस चट्टान हवा से नहीं हिलती, उसी प्रकार बुद्धिमान व्‍यक्ति प्रशंसा या आरोपों से विचलित नहीं होता। 

चिंता मुक्त कर देने वाली गौतम बुद्ध के 25 उपदेश
11 .कभी किसी गरीब की सहायता करके देखिए। उसके लिए आपसे बड़ा भगवान और कोई नहीं होगा।

12 .स्‍वास्‍थ्‍य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है और विश्‍वास सबसे अच्‍छा रिश्‍ता हैं।

13 .गुस्‍से को अपने भीतर रखना ऐसा ही हैं, जैसे आप जहर तो खुद पियेंं और किसी दूसरे आदमी के मरने की उम्‍मीद करें।

14 .इस संसार में सभी को अपने ज्ञान का अहंकार हैं। परन्‍तु किसी को भी अपने अहंकार का ही ज्ञान नहीं हैं। 

15 .दर्द मिलना स्‍वाभाविक हैं। फिर दुखी होना  या न हाेेेना आपके हाथ में हैं।

16 .प्रसिद्ध होना आसान हैं लेकिन सिद्ध होना बेहद कठिन।

17 .तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओंगे बल्कि तुम अपने क्रोध के द्वारा दंड पाओगे।

18 .अगर आप दूसरों के लिए दिया जलाते हैं तो यह आपके रास्‍ते को भी रोशन कर देता हैं।

19 .ज्‍यादा सोचना बंद करो। आप सब कछ नियंत्रित नहीं कर सकते। कुछ बातों  को जाने देनें में ही भलाई हैं। 

20 .पवित्रता और अपवित्रता, अपने आप पर निर्भर करती है, कोई भी दूसरे को पवित्र नही कर सकता।

21 .किसी विवाद में, जिस क्षण हम क्रोधित होते हैं। हम सत्‍य का मार्ग छोड़ देते हैं और बस अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।

22 .मदद करने के लिए धन की नहीं बल्कि अच्‍छे मन की जरूरत होती हैं।

23 .शक्ति चाहिए, तो ज्ञान हासिल करों और सम्‍मान चाहिए तो चरित्र अच्‍छा करों।

24 .यह मत पूछिए, कि लोग आपको चोट क्‍यों पहुंचाते है। अपने आप से पूछें कि आप क्‍यों अनुमति दे रहे हैं।

25 .अगर आप, किसी के मन की बात जानना चाहते हैं, तो उसकी बातें सुनें। यदि आप उनके दिल को जानना चाहतेंं हैं, तो उनके कार्यो को देखें।



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