ज्योतिष शास्त्र- पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पति सभी देवी देवताओं के गुरु थे. जिस कारण उन्हें देव गुरु बृहस्पति भी कहा जाता था. वे राक्षसों से युद्ध के समय देवी- देवताओं का मार्गदर्शन किया करते थे.
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अक्सर लोग यह सवाल पूछते हैं कि अगर हमारी कुंडली में गुरु खराब हो तो हमारे जीवन में क्या प्रभाव आते हैं?
अगर हमारी कुंडली में कोई भी ग्रह कमजोर या पीड़ित है तो अवश्य ही उसके शुभ प्रभावों में कमी आती है. कमजोर ग्रह कुंडली में जिस भाव का स्वामी होता है उस भाव के फलों में कमी ला देता है.
आज मैं आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताऊंगा कि गुरु ( बृहस्पति ) खराब होने के लक्षण क्या हैं? इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देव गुरु बृहस्पति हमारे जीवन में सुख और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। बृहस्पति ग्रह अत्यंत शुभफल दायक होता है. जिस भी भाव में गुरु की दृष्टि पड़ती है उस भाव की वृद्धि होती है.
हमारी कुंडली में बृहस्पति ग्रह हमारी शिक्षा, धर्म, अध्यात्म, लंबी दूरी की यात्रा, हमारा भाग्य, कर्ज से मुक्ति और मोक्ष का कारक होता है। अगर हमारी कुंडली में गुरु खराब है तो सामान्य तौर पर इन परिणामों में कमी आती है.
अगर आपके पास आपकी कुंडली नहीं है या आप अपनी कुंडली देखना नहीं जानते तो आप इन लक्षणों को देखकर पहचान सकते हैं कि आपकी कुंडली में गुरु कमजोर है या नहीं.
चलिए जानते हैं कि गुरु ( बृहस्पति ) खराब होने के लक्षण क्या हैं?
1. शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में बाधा-
देव गुरु बृहस्पति ज्ञान और शिक्षा के कारक होते हैं अगर आपकी कुंडली में गुरु खराब है तो आपके शिक्षा और ज्ञान प्राप्ति में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं. आपकी शिक्षा रुक- रुक कर भी हो सकती है.
कई बार ऐसा देखा जाता है कि गुरु के कमजोर होने से व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी कमजोर हो जाती है. शिक्षा में वही व्यक्ति अच्छा हो सकता है जिसकी स्मरण शक्ति तेज हो. जो चीजों को आसानी से समझ लेता हो.
कुंडली में गुरु खराब होने से व्यक्ति की पढ़ाई- लिखाई में रुचि ही नहीं रहती है. उसके मन में शिक्षा के प्रति तिरस्कार की भावना उत्पन्न होने लगती है.
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2. काल्पनिक दुनिया में खोए रहना-
कुंडली में देव गुरु बृहस्पति की स्थिति अगर खराब हो तो व्यक्ति अपने द्वारा बनाई गई एक काल्पनिक दुनिया में खोया रहता है. उसे उस दुनिया में आनंद की अनुभूति होती है और वह उससे बाहर नहीं आना चाहता.
अगर कुंडली में चंद्रमा भी अच्छा ना हो तो इसके अनेक दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. ऐसे व्यक्तियों को डिप्रेशन तक की बीमारी हो जाती है या इन्हें ड्रग्स आदि चीजों की मदद लेनी पड़ती है जिससे वे अपनी काल्पनिक दुनिया में रह सकें.
3. शिक्षक या गुरु अच्छे नहीं मिलते-
अगर आपको अपने जीवन में अच्छे गुरु या शिक्षक नहीं मिल रहे हैं तो यह बड़ा सूचक है कि आपकी कुंडली में गुरु कमजोर स्थिति में हों. अगर अच्छे शिक्षक मिलते भी हैं तो व्यक्ति क्या संबंध उन शिक्षकों के साथ अच्छा नहीं रह पाता.
4. सही गलत चुनने की क्षमता घट जाती है-
अगर आपकी कुंडली में गुरु खराब स्थिति में है तो आपको अपने जीवन में सही और गलत में भेद करने मैं समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा. आप अक्सर उन रास्तों को चुन लेते हैं जो आपके लिए गलत साबित हो सकते हैं.
कई बार लोगों के निर्णय लेने की क्षमता भी घट जाती है. वे अपने जीवन में निर्धारित ही नहीं कर पाते कि उन्हें कौन सा रास्ता चुनना चाहिए जिससे वे जीवन में प्रगति कर सकें.
5. नैतिकता में कमी आ जाती है-
कुंडली में अगर गुरु खराब परिणाम देने लगे तो व्यक्ति के जीवन में नैतिकता का कोई महत्व नहीं रह जाता है. ऐसा व्यक्ति अपने से बड़ों का अनादर करने लगता है. अपने गुरुओं को सम्मान नहीं दे पाता है.
बृहस्पति ग्रह हमारी नैतिकता और हमारे संस्कारों को दर्शाता है. अगर यह ग्रह कमजोर या पीड़ित हो गया तो हमारे नैतिकता और संस्कारों में कमी आ जाती है. बचपन से ही हमें उस प्रकार संस्कार नहीं मिल पाते जो एक आदर्श व्यक्ति को मिलने चाहिए.
6. ज्ञान का अहंकार हो जाना-
अगर बृहस्पति ग्रह पीड़ित है तो परिणाम के रूप में वह व्यक्ति के भीतर अहंकार भर देता है. बृहस्पति विनम्रता का कारक है लेकिन उसके खराब होने पर व्यक्ति के भीतर अनावश्यक अहंकार आ जाता है.
जिस व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति मजबूत रहता है उसे अपने ज्ञान का अहंकार कभी नहीं होता क्योंकि ज्ञान का अहंकार अंधकार की ओर ले जाता है. किसी भी विषय का ज्ञानी होना बहुत बड़ी बात होती है. दो- चार पुस्तक पढ़ लेने से कोई भी व्यक्ति किसी विषय का ज्ञानी नहीं हो जाता.
7. पाचन ठीक से नहीं होता-
अगर आप अक्सर अपनी पाचन क्रिया की समस्या से परेशान रहते हैं तो यह एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है कि आपका गुरु कमजोर या पीड़ित है.
8. नास्तिक हो जाना-
कुंडली में अगर गुरु की स्थिति खराब है या पीड़ित है तो यह व्यक्ति को नास्तिक बना देता है. ऐसा व्यक्ति देवी-देवताओं पर विश्वास रखना छोड़ देता है और उसके भीतर इनके प्रति आस्था नहीं रहती है.
कई बार ऐसा भी देखने में आता है कि गुरु के पीड़ित होने पर व्यक्ति धर्म में अंधविश्वासी हो जाता है. उसे काला जादू पर विश्वास होने लगता है. अगर वह देवी- देवताओं की पूजा भी करता है तो उसके मन में कुछ ना कुछ पाने की लालसा होती है.
9. गलत काम करने में पछतावा ना होना-
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु पीड़ित स्थिति में होते हैं तो वह व्यक्ति गलत काम जैसे चोरी करना, घूस लेना आदि जैसे में समर्थ होता है. वह अपने आप को इन कामों के प्रति झुका हुआ पाता है.
ऐसे व्यक्ति अगर ऊंचे पद तक पहुंच जाएं तो इनको गरीबों और नीचे तबके के लोगों पर शोषण करने में कोई पछतावा नहीं होता. ऐसे व्यक्ति दया हीन भी हो जाते हैं.
दोस्तों मैंने आपको 9 ऐसे लक्षण बताएं हैं जोकि गुरु यानि बृहस्पति खराब होने पर व्यक्ति के अंदर झलक ही जाते हैं. अगर आप अपनी कुंडली देखना नहीं जानते तो आप इन लक्षणों से अंदाजा लगा सकते हैं कि आपका बृहस्पति ग्रह कैसी स्थिति में है.
हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके बताना ना भूलें.
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