गर्भवती महिलाओं में कब्जियत और अतिसार होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

कल्याण आयुर्वेद- इस रोग में गर्भवती महिला को मलावरोध रहता है. उसे खुलकर दस्त नहीं आता है. दिन में कई बार मल सूखा, अति कड़ा एवं कम मात्रा में आता है. जिससे वह पूरे दिन आलस्य मे पड़ी रहती है. किसी भी काम में उनका मन नहीं लगता है. कब्जियत होने के कारण भूख भी नहीं लगती है.

गर्भवती महिलाओं में कब्जियत और अतिसार होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय

गर्भवती महिलाओं में कब्जियत होने के कारण-

गर्भवती महिलाओं में कब्जियत गर्भ के दबाव के कारण होता है. यह रोग विशेष रूप से शहर में निवास करने वाली महिलाओं में मिलता है क्योंकि वह सारे दिन आराम से मुलायम गद्दे पर पड़ी रहती हैं, जिसके कारण कब्जियत की समस्या उन्हें अधिक होती है. यह भी देखा गया है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था में कब्ज रहता है उनके बच्चों को भी कब्ज रहता है.

कब्जियत होने के लक्षण-

मल का बहुत कम आना.

मल का कठोर एवं सख्त होना.

मल को निकालते समय अधिक जोर लगाने की आवश्यकता पड़ना.

शौच करते समय पूर्ण मल का बाहर न निकालना और पेट खाली होने का एहसास न होना.

सप्ताह में 3 से कम बार शौच का होना.

मल निकासी के समय मलद्वार में दर्द होना.

पेट में दर्द होना.

गर्भावस्था कब्जियत दूर करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय-

गर्भवती महिलाओं में कब्जियत और अतिसार होने के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय
1 .ग्लिसरीन या एरंड तेल आधा ऑस की मात्रा में गर्म दूध के साथ मिलाकर रात को सोते समय पिलाने से सुबह दस्त ( पखाना ) साफ आता है.

2 .हिंग्वाष्टक चूर्ण, लवण भास्कर चूर्ण को मट्ठा के साथ सेवन कराने से कब्जियत दूर होता है.

3 .सोठ, गुड़ अथवा हरड़ और गुड़ का सेवन कराने से महिला का पेट साफ रहता है.

4 .गुलकंद गुलाब 24 ग्राम और हरड़ का मुरब्बा एक नग रात्रि के समय खिलाकर ऊपर से गर्म दूध पिलाने से सुबह दस्त साफ़ आता है.

5 .छोटी हरड़ और काला नमक बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें. इस चूर्ण में से 6 से 12 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन कराने से पेट साफ हो जाता है. इससे 2-4 दस्त भी हो सकता है.

6 .ईसबगोल की भूसी 12 ग्राम पानी में 24 घंटे भिगोकर बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर पानी या दूध के साथ सेवन करने से दस्त साफ हो जाता है.

7 .त्रिफला 36 ग्राम, अजवाइन और सेंधा नमक 12-12 ग्राम इन सबको मिलाकर चूर्ण बना लें. अब इस चूर्ण में से 3 ग्राम से 12 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ खाने से पेट साफ रहता है. साथ ही गर्भवती महिला की पाचन शक्ति ठीक रहती है.

विशेष ज्ञातव्य- इसके उपचार के संबंध में चिकित्सक एवं बड़े- बुजुर्गों का कर्तव्य है इसमें गर्भवती महिला के लिए भोजन में ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे उसे कब्ज या मलावरोध नही होने पावे. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गर्भवती महिला को कभी भी अति विरेचक चीजें नहीं देनी चाहिए. इसके लिए मृदु, मधुर एवं सौम्य रेचकों का प्रयोग उत्तम होता है. मधुयष्ठी, गुलकंद, मुनक्का गर्म दूध में उबालकर अथवा यष्टयादि चूर्ण के सम्यक प्रयोग से मलावरोध दूर करना चाहिए. इसके अतिरिक्त गुलाब के फूल, किशमिश- इन दोनों को पीसकर सेवन कराने से मलावरोध दूर होता है.

यदि मलावरोध के साथ-साथ महिला को मन्दाग्नि भी हो तो अग्निकुमार रस अथवा भुवनेश्वर रस गर्म पानी के साथ सेवन कराना चाहिए.

गर्भावस्था में अतिसार होना-

यह गर्भवती महिला में विशेष रुप से गर्भावस्था के अंतिम महीनों में मिलने वाला रोग है. इसमें गर्भवती महिला को बार-बार दस्त मालूम पड़ता है. कभी-कभी तो पानी की तरह भी दस्त आते हैं.

इस रोग की उत्पत्ति गर्भवती महिला की पाचन शक्ति के कमजोर होने तथा गर्भ के दबाव के कारण होती है. अधिक दस्त आने से महिला काफी कमजोर हो जाती है.

यदि आप एक दिन में तीन या अधिक बार पतले मलत्याग के लिए जाती हैं तो आपको दस्त हो सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान दस्त की समस्या होना सामान्य है. हालांकि हर दस्त होने का मतलब यह नहीं होता है कि यह केवल गर्भावस्था के कारण ही हो रही है. गर्भावस्था के अलावा दस्त इन कारणों से भी हो सकती हैं.

वायरस के कारण.

बैक्टीरिया के कारण.

पेट में दर्द होने के कारण.

आंत के परजीवी के कारण.

फूड प्वाइजनिंग होने के कारण.

कुछ दवाओं के सेवन करने के कारण.

कुछ अन्य स्थितियों में भी अतिसार होना आम होता है. इसमें इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, क्रॉस डिजीज, सिलिएक रोग, अल्सरेटिव कोलाइटिस यानी आंत की सूजन आदि मुख्य हैं.

गर्भावस्था में अतिसार के लिए आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

दस्त के अधिकांश मामले कुछ ही दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाते हैं दस्त में आमतौर पर हाइड्रेट रहना जरूरी होता है. इसलिए आप बहुत सारा पानी पिएं, जूस और शोरबा पिएं. पानी आपके शरीर में तरल पदार्थों की कमी को फिर से भरने में मदद करेगा और जूस आपके शरीर में आई पोटेशियम के स्तर में कमी को और शोरबा सोडियम की भरपाई करने में मदद करेगा.

1 .लवंगादि चूर्ण, जातिफलादि वटी या सर्वांगसुंदर महागंधक- मोथे के रस एवं शहद के साथ सेवन करावें.

2 .यदि अतिसार के साथ बुखार भी हो तो अमृतार्नव दें.

3 .धनिया, गिलोय, खरैटी, पित्त पापड़ा, जवासा, नागर मोथा, लाल चंदन और अरलू, सुगंधबाला एवं अतिस- इन 11 औषधियों का क्वाथ बना कर पिलाने से अतिसार, संग्रहणी, बुखार आदि नष्ट हो जाते हैं.

4 .नागकेसर 6 ग्राम, सोंठ 6 ग्राम, बड़ी इलायची के दाने 3 ग्राम, काला नमक 3 ग्राम- इन सबको मिलाकर कूट पीसकर छान लें. ऐसी एक मात्रा सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन कराने से गर्भवती महिला का अतिसार निश्चय ही ठीक हो जाता है.

5 .अतीस चूर्ण 3 ग्राम शहद के साथ चटाने से अतिसार बंद हो जाता है.

6 .पूरे अनार को पुटपाक रीति से पता कर रस निकालें. अब आधा से एक ऑंस रस में बराबर शहद मिलाकर पिलाने से अतिसार में लाभ होता है.

गर्भवती महिला की पेचिश-

इसमें गर्भवती महिला को दस्त में सफेद या लाल रंग का बलगम आता है. कभी-कभी तो उसे बार-बार दस्तों के लिए जाना पड़ता है. जिसमें केवल थोड़ा सा बलगम ही आता है. महिला को पर्याप्त समय तक दस्त के लिए काँखना पड़ता है. साथ ही महिला के पेट में मरोड़ होती है. यह मरोड़ कभी-कभी इतना अधिक होती है कि काफी कष्टों का सामना करना पड़ता है.

गर्भवती महिला की पेचिस का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय-

1 .लोध्र, मोचरस, पाठा, चंदन, कुटज एवं अतीस का प्रयोग लाभकारी होता है. अम्बष्ठादि वर्ग की औषधियों का प्रयोग भी लाभकारी होता है. अनुमान में तन्डूलोदक का प्रयोग करना चाहिए. न्योग्रोधादि औषधियों का प्रयोग शहद के साथ लाभदायक होता है. यह सभी औषधियां प्रवाहिका के साथ-साथ गर्भिणी के अतिसार में भी फायदेमंद होते हैं.

2 .लवंगादि चूर्ण, जातिफलादि रस अथवा सर्वांगसुंदर रस का प्रयोग मोथा के रस एवं शहद के साथ कराने से प्रवाहिका में तुरंत लाभ होता है.

3 .गुलाब का फूल, सौंफ, मुनक्का, बड़ी हरड़- इन सबका काढ़ा बनाकर पिलाने से प्रवाहिका में अच्छा लाभ होता है.

4 .बेल की गिरी, नागर मोथा, नेत्रवाला, धनिया, सोठ- इन सब का काढ़ा बनाकर पिलाने से प्रवाहिका में अच्छा लाभ होता है. इससे प्रवाहिका का समूल नाश हो जाता है.

5 .सोंठ 5 ग्राम, भुनी हुई छोटी हरड़ 5 ग्राम, भुनी हुई सौंफ 5 ग्राम, सेंधा नमक 2 ग्राम- इन सबको चूर्ण बनाकर इस में से 2 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार सेवन कराने से पेचिस जल्द ही ठीक हो जाता है.

6 .यदि महिला को बुखार ना हो तो माड़ के साथ मट्ठे को पिलाया जाए तो अधिक लाभकारी होता है.

नोट- यह लेख शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है.. किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह जरूर लें धन्यवाद.


Post a Comment

0 Comments