अगर जिंदगी से हार मान चुके हैं, इस पोस्ट को धयान से पढ़ें, जीवन बदल देगी.

दोस्तों अक्सर लोग कोई काम में सफलता नही प्राप्त कर पाते हैं तो जिंदगी से हार मानकर तरह- तरह के नकारात्मक बातें सोचने लगते है कुछ लोग तो जान भी दे देते हैं लेकिन दोस्तों इस लेख को ध्यान से पढेंगे तो आप ऐसी गलती बिलकुल भी नही करेंगे. दोस्तों, विज्ञान कहता हैं कि एक नवयुवक स्वस्थ पुरुष यदि सम्भोग करता हैं तो, उस समय जितने मात्रा में वीर्य निर्गत होता है उसमें चालीस से नब्बे करोड़ शुक्राणु होतें हैं. यदि इन्हें स्थान मिलता, तो लगभग इतने ही संख्या में बच्चे पैदा हो जाते. लेकिन

अगर जिंदगी से हार मान चुके हैं, इस पोस्ट को धयान से पढ़ें, जीवन बदल देगी.
दोस्तों, वीर्य निकलते ही ये अस्सी- निब्बे करोड़ शुक्राणु पागलों की तरह गर्भाशय की ओर दौड़ पड़ते है...भागते- भागते लगभग तीन सौ से पाँच सौ शुक्राणु पहुँच पाता हैं उस स्थान तक। बाकी सभी भागने के कारण थक जाते है बीमार पड़ जाते है और मर जातें हैं.

और यह जो जितने डिम्बाणु तक पहुंच पाया, उनमे सें केवल मात्र एक महाशक्तिशाली पराक्रमी वीर शुक्राणु ही डिम्बाणु को फर्टिलाइज करता है यानी कि अपना आसन ग्रहण करता हैं और माता गर्भधारण करती है. यही परमवीर शक्तिशाली शुक्राणु ही आप हो, मैं हूँ ,हम सब हैं !

दोस्तों कभी आपने सोचा है इस महान घमासान के विषय में ? इस महान युद्ध के विषय में?

आप उस समय भाग रहे थे...तब जब आपकी आँखें नहीं थी, हाथ, पैर, सिर, दिमाग कुछ भी नही था...फिर भी आप विजय हुए थे और इस धरती पर जन्म लिए थे.

अगर जिंदगी से हार मान चुके हैं, इस पोस्ट को धयान से पढ़ें, जीवन बदल देगी.
आप तब दौड़े थे जब आप के पास न कोई सर्टिफिकेट था. किसी नामी कॉलेज का नाम भी नही था.आप का कोई पहचान भी नही था. फिर भी आप जीत गए थे, आप तब दौड़े थे, जब आप न हिन्दू थे न मुसलमान, न भक्त न भगवान फिर भी आप जीत गए ! बिना किसी से मदद लिए, बिना किसी के सहारे खुद अपने बलबूते पर विजय को प्राप्त हुए थे.

दोस्तों, उस समय आप भागे थे दौड़े थे जब आपका एक निर्दिष्ट गन्तव्य स्थल था. उसी की ओर लक्ष्य था...आप का संकल्प बस उस तक पहुंचना था...थके बिना एकाग्र चित्त से आप भागे दौड़े और उद्देश्य पूरा किये, गन्तव्य तक पहुंच गए.

अस्सी निब्बे करोड़ शुक्राणुओं को आप ने हरा दिए थे ! हैं न ? और आज देखो ? थोड़ा बहुत भी तकलीफ या परेशानी आई, और आप घबरा जाते हैं...निराश हो जातें है...हाल छोड़ बैठ जातें हैं...

दोस्तों, क्यो आप अपना उस आत्मविश्वास को गँवा बैठते हैं ?

अभी तो सब हैं आपके पास हाथ, पैर, मष्तिष्क, दिमाग से लेकर परिवार, भाई, बहन सब हैं . मेहनत करने के लिए हाथ- पैर हैं प्लानिंग के लिए दिमाग हैं, बुद्धि हैं, शिक्षा हैं...सहायता के लिए लोग हैं . फिर भी आप निराश हो जीवन को नरक बना बैठे हैं !!

जब आप जीवन की प्रथम दिन प्रथम युद्ध नही हारे तो आज भी हार मत मानिये ! आप पहले भी जीतें थे...आज भी और कल भी जीतेंगे. इसलिए हार मानने के बजाय अपने लक्ष्य की ओर धयान दें. और कामयाबी हासिल करें. अपने लक्ष्य से भटकना ही आपको हार की ओर ले जाता है.

दोस्तों, यह लेख आपको अच्छी लगी हो तो लाइक, शेयर करें. धन्यवाद.


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