हर मनोकामनाएं होगी पूरी, भगवान् शिव को यह फुल कर दें अर्पित

सावन का महिना भगवान भोलेनाथ की पूजा के लिए बहुत उत्तम माना जाता है. इस महीने में जो कोई भी भगवन शिव की पूजा श्रद्धा के साथ करते हैं उनकी हर मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. इस लिए शिव भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उनको अति प्रिय वस्तुओं को अर्पित कर उनकी पूजा करते हैं तथा अपनी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को मदार का फूल अति प्रिय है. शिव पूजन में मदार का फूल अर्पित करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों पर अपनी विशेष कृपा बरसाते हैं. शिव भगवान को मदार के पुष्प की माला चढ़ाने से समाज में स्थिरता, शांति और समृद्धि आती है. आइये जानते हैं कि सावन में मदार के पेड़ और फूल का क्या महत्व है ?

हर मनोकामनाएं होगी पूरी, भगवान् शिव को यह फुल कर दें अर्पित

हिंदू धर्म के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा करते समय मदार के फूल से जरूर अर्पित करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से शिव भक्त को भविष्य में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है. सावन में महादेव की पूजा करने में मदार का फूल इस्तेमाल करने से शिव भक्त को संतान सुख की प्राप्ति होती है. सावन में मदार के फूल से शिव जी की पूजा करने से घर में सुख शांति और अच्छाई आती है एवं घर की सारी बुराई ख़त्म हो जाती है.

सावन में शिव जी को मदार का फूल अर्पित करने से घर में सभी प्रकार के जादू- टोने से मुक्ति मिलती है.

मदार का फूल नौ ज्योतिषीय पेड़ों में से भी एक है. यह भगवान शिव को अति प्रिय है. महाभारत के आदि पर्व में भी मदार के विशेषता की चर्चा की गई है. कहा गया है कि ऋषि अयोद-दौम्य के शिष्य उपमन्यु के आंखों की रोशनी मदार के पत्ते खा लेने के कारण चली गई थी. स्कन्द पुराण में भगवान गणेश की पूजा में मदार के पत्ते के उपयोग की बात भी कही गई है. 

हर मनोकामनाएं होगी पूरी, भगवान् शिव को यह फुल कर दें अर्पित

मदार का अपना एक धार्मिक महत्व भी है, अक्सर आपने देखा होगा कि लोग इसे अपने घर के बाहर लगते हैं. कहते हैं कि इससे घर में हमेशा शांति बनी रहती है और आर्थिक लाभ भी होता है. यह भी कहा जाता है कि जिस घर में सफेद आक का पौधा होता है उन्हें उनके शत्रु कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते है. आक के पुराने पेड़ की जड़ में गणेश जी का वास रहता है, ऐसा माना जाता है, इससे घर में अन्नपूर्णा देवी का वास रहता है.

ये तो हुआ मदार के धार्मिक महत्व अब चलिए बात कर लेते हैं इसके आयुर्वेदिक गुणों के बारे में  

दोस्तों आर्युवेद में इसकी गनना उपनिवेशों से की है. मदार के अधिक सेवन से उल्टी दस्त होकर, मनुष्य मृत्युलोक प्राप्त कर सकता है. इसके विपरीत अगर इसका सेवन उचित मात्रा में, सही ढंग से किसी वैध की देखरेख में किया जाये, तो यह अमृत समान गुणकारी होता है.

आक का वैज्ञानिक नाम है : calotropis gigantia और अंग्रेजी में इसको Madar, बंगाली में आकन्नद, मराठी में एक्के, पंजाबी में आक्क कहा जाता है. इसकी तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं.    

1. रक्तार्क:- आक, के फूल सफेद रंग के छोटे व  कटोरी नुमा होते है. तथा फूल के अंदर बैंगनी व लाल रंग की चित्ती होती हैं. इसमे दूध कम होता है .

2. श्वेतार्क:- इस आक का फूल बड़ा, हल्का पीला व सफेद कनेर के फूल जैसा होता है. इसे मदार भी कहा जाता है. 

3. राजार्क:- इस मदार का पौधा एक ही शाखा वाला होता है । इसके फूल सफेद चांदी की तरह के होते है. यह प्रजाती बहुत कम पाई जाती है.

इस के पौधे  हर अंग दवा तथा हर भाग उपयोगी है, मदार के पत्ते, मदार की जड़, मदार के फूल, मदार का दूूध, सभी का औषधीय कामों में उपयोग किया जााता है, और मदार के दूध के फायदे अनेक होते हैं. यह एक उत्तम रसायन माना जाता है. 

मदार के फायदे - 

कफ से होने वाले पेट के रोगों, अर्श, व पेट के कीड़ो को नष्ट करने मे आक का उपयोग होता है.

लाल मदार का फूल मीठा व कुछ कड़वा होता है, इससे कफ, अर्श व रक्त पित्त का उपचार किया जाता है.

आक का फूल हल्का, अरुचि कारक, अर्श, खांसी, तथा श्वास रोगों के काम आता है. 

हर मनोकामनाएं होगी पूरी, भगवान् शिव को यह फुल कर दें अर्पित

मदार के औषधीय गुण - 

 1. दाँत में दर्द में मदार के दूध के फायदे -

आक के दूध मे रुई भिगोकर, घी मे मल कर, दाड़ मे रखने से दांत की पीड़ा मे फायदे करता है. उँगली जितनी मोटी जड़ को आग मे भून कर दातुन करने से दाँत रोग व दाँत का का दर्द मिटता है. मदार के दूध में नमक मिलाकर दाँत पर लगाने से दाँत की पीड़ा में फायदे होते है.

2. मिर्गी में मदार के फूल के फायदे -

आक के ताजे फूल और काली मिर्च को पीस कर गोलिया बना ले तथा दिन मे तीन चार बार सेवन करे. इससे मिर्गी में फायदा होता है.

आक के दूध में थोड़ी शक्कर या मिश्री मिला कर खरल करके रख ले, इसकी 125 मिली ग्राम मात्रा सुबह दूध के साथ सेवन करें. इससे मिर्गी में फायदे हैं.

सफेद आक के फूल का एक हिस्सा और पुराना गुड़ तीन हिस्सा लेकर पहले फूलो को पीस ले फिर गुड़ के साथ खरल कर ले, इसकी चने जैसी गोलिया बना कर, सुबह- शाम 1 या 2 गोली ताजे पानी के साथ सेवन करने से मिर्गी में अच्छा लाभ होता है.

3. नेत्र रोग में मदार का दूध के फायदे - 

आँख दुख रहा हो तो, यदि दायीं आँख हो तो बाएं पैर के नाखून तथा बायीं आँख मे सूजन अथवा दर्द हो तो दाएं पैर के नाखून को मदार के दूध से तर कर दे. इससे आँख का दर्द ख़त्म हो जाता है.

मदार की जड़ की छाल को जला कर कोयला कर ले, फिर इसे थोड़े पानी मे घिस कर नेत्र के चारो और तथा पलको पर धीरे- धीरे मलते हुए लेप करे. इससे नेत्र रोग में फायदे होते हैं.

मदार के जड़ की सूखी हुई छाल एक ग्राम कूट कर पीस ग्राम गुलाब जल डाल कर  कुछ देर रख कर छान ले, 3-5 दिन आँखों मे बूंद बूंद डालने से आंखों मे दर्द, भारीपन, लाली व खुजली फायदे होते हैं.

4. मुह की झांईयां में मदार के दूध फायदे -

हल्दी का चूर्ण 3 ग्राम, आक का दूध 5 ग्राम को गुलाब जल मे घोल कर आंखों को बचाकर झाई युक्त स्थान पर लगाने से लाभ होगा. कोमल त्वचा वालो को मदार के दूध की जगह रस का इस्तेमाल करना चाहिए.

5. कान के रोग में आक के पत्ते के फायदे - 

मदार के पत्ते जो अच्छी तरह से पक कर पीले पड़ चुके हो, को लेकर थोड़ा सा घी चुपड़ कर आग पर रख दे, जब झुलसने लगे टैब उसे तुरंत निकाल के निचोड़ ले. इसे गुनगुना ही कान मे डालने से दर्द में शीघ्र फायदे होते  हैं.

6. खाँसी व श्वास रोग में मदार के फायदे - 

आक के पत्ते पर जो सफेदी छाई रहती है, को इकट्ठा कर छोटी- छोटी मूंग जैसी गोलिया बना ले, एक- एक गोली सुबह- शाम खाये व बाद मे खाना खा ले, इससे 4 दिन मे श्वास रोग ठीक हो जाता है.

पुराने से पुराने मदार की जड़ को छाया मे सुखाकर जलाकर राख कर ले, इसमे से कोयले अलग कर ले. एक- दो ग्राम राख को पान या शहद मे मिला कर खाने से खासी, श्वास मे फायदे होते हैं.

आक की कोमल शाखा फूलों सहित पीस कर दो तीन ग्राम की मात्रा घी मे गर्म कर ले. फिर इसमे गुड़ मिलाकर पाक बना ले. इसका प्रातः सेवन करने से पुरानी खाँसी जिसमे पीला कफ निकलता हो, शीघ्र दूर होकर फायदे होते हैं.

मदार के दूध में चने डुबो कर मिट्टी के बर्तन मे बंदकर उपलों की आग मे भस्म कर 125 मिली ग्राम शहद के साथ सेवन दिन मे तीन बार चाट कर करें. इससे भयंकर से भयंकर खासी मे भी फायदे होते है.

7. आधाशीशी में मदार के पत्ते के फायदे-

पीले हुए मदार के 1-2 पत्तो का रस निकाल कर नाक मे डालने से आधा सीसी मे लाभ होता है. यह तेज बहुत होता है, इस लिए इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए. ऐसा करने से सिरदर्द में फायदे होते हैं.

8. भगंदर तथा नाड़ी के घाव में मदार के दूध के फायदे-

मदार के दूध मे रुई भिगो कर छाया मे सुखाकर बत्ती बना ले, फिर सरसों के तेल मे भिगो कर घाव पर लगाने से लाभ होता है.

मदार के 2-3 पत्तों को तिल्ली के तेल के साथ पत्थर पर पीस कर मरहम बना लें, इसे फोड़ो  तथा अंडकोष के दर्द में लगा कर लंगोट कस देने से लाभ होता है.

मदार का 10 मिली ग्राम दूध और दारू हल्दी का दो ग्राम बारीक चूर्ण दोनो को खरल मे घिस कर बत्ती बना लें. इसे घाव पर लगाने से फायदे होते हैं.

9. हैजा में मदार के फूल के फायदे-

हैजा की बीमारी होने पर मदार के बिना खिले फूल 10 ग्राम, भुना सुहागा, सौंठ, पिपली, लौंग, पीपल, काला नमक सभी 5-5 ग्राम, इन्हें कूट पीस कर लगभग मसूर के बराबर गोलिया बना ले, 1-1 गोली दिन मे चार- पांच बार स्पानी के साथ सेवन करें अगर बीमारी तीब्र अवस्था है तो एक साथ 4 - 4 गोली का सेवन करना है.

मदार की जड़ की छाल को छाया मे सूखा कर इसके दो भाग व काली मिर्च  का एक भाग, दोनो को कूट छान कर इसे अदरक या प्याज के रस के साथ मिला कर गोलिया बना ले. हैजे के दिनों मे इसे देने पर हैजे से बचाव होता है. हैजा होने पर इसकी एक - एक गोली दो - दो घंटे मे देने से फायदे होते है.

10. अर्श में मदार के फायदे- 

हल्दी चूर्ण को मदार के दूध मे अच्छी तरह से भिगो कर सूखा ले, फिर आक दूध के साथ मिला कर गोलियां बना लेवें और छाया में सुखा लें. प्रातः व शाम को शौच जाने के बाद जल मे घिस कर मस्सों पर लेप करने से मस्से कुछ ही दिनों मे सुख कर गिर जाते हैं.

शौच जाने के बाद मदार के दो चार ताजे पत्ते तोड़ कर मस्सों पर इस तरह से रगड़े की मस्सों पर दूध न लगे, केवल पत्तो के ऊपर लगी सफेदी ही लगे. ऐसा नियमित एक सप्ताह तक करने से मस्से सूख जाते हैं.

11. बांझपन-

सफेद मदार की जड़ को छाया मे सुखा ले, फिर इसको महींन पीस लेवे, इसकी एक से दो ग्राम की मात्रा 250 ग्राम गाय के दूध के साथ सेवन करें. इससे बंद नलियां खुलती हैं. इससे गर्भाशय की गांठो व मासिकधर्म की समस्या में भी फायदे होते है. जिससे बाँझपन की समस्या दूर होती है.

12. जख्म में मदार की जड़ के फायदे-

सफेद मदर की जड़ को नीबू के साथ बिना जंग लगे लोहे पर गिस कर  लेप बनाये, यह लेप जख्मो पर लगाने से जख्म धीरे- धीरे ठीक हो जाते हैं.

मदार की जड़ के पास की गीली मिट्टी लेकर इसकी टिकिया बनाकर अधिक पीड़ा वाले स्थान पर लगाये तथा जिस घाव मे कीड़े पड़ गये हों, उस पर बांध देने से अंदर के कीड़े टिकिया में आकर मर जाते हैं.

मदार के दूध के नुकसान -

मदार का दूध आँखों में जाना काफी खतरनाक हो सकती है इससे आँखों की रौशनी भी जा सकती है इसलिए इसे किसी भी हाल में आँखों में जाने से बचाना चाहिए. मदार का दूध बहुत ही विषैला होता है, इसकी अधिकता से नुकसान हो सकता है. और जान भी जा सकती है. इसलिए इसका प्रयोग जटिल रोगों में अच्छे वैध की सलाह पर ही करना चाहिए. इसके अत्यधिक सेवन से उल्टी, दस्त हो जाते हैं  और जान का खतरा रहता है. इस लिए इसका प्रयोग सावधानी पूर्वक करना ही उचित होगा. अगर यह विडियो आपको पसंद आई हो तो सब्स्क्राइब करें कम्र्न्त में हर-हर महादेव जरुर लिखें. धन्यवाद.

विशेष:

इस लेख में मदार के फायदे व उपचार के बारे में वर्णन किया गया है. गुणों के अनुुुसार यह बहुुुत उपयोगी है. इसका सेवन अच्छे तरीके से, उचित मात्रा मे वैध की सलाह से किया जाए तो अनेक रोगों मे इसका  बहुत फायदे मिलते है.


Post a Comment

0 Comments