कल्याण आयुर्वेद- बार-बार हिक- हिक शब्द करती हुई यकृत, तिल्ली तथा आंतों को खींचकर मुख में लाते हुए ऐसी उदान वायु प्राणवायु के साथ मिलाकर उर्ध्व गति से चलती है और कफ का अनुसरण हो प्राणियों के जीवन का नाश कर देती है. हिक- हिक शब्द करने के कारण इसको हिक्का कह कर पुकारा जाता है.
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हिचकी क्या है जाने कारण लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय |
हिचकी क्या है ?
दरअसल, डायाफ्राम नामक मांसपेशी होती है जो हमारे हृदय और फेफड़ों को पेट से अलग करने का काम करती है. जब आप सांस लेते हैं तब यह बहुत अहम भूमिका निभाता है. डायाफ्राम मांसपेशी के संकुचन के कारण फेफड़ों में हवा के लिए जगह बनाती है. जब डायाफ्राम प्रोसेसर बार-बार सिकुड़ने लगता है उसकी वजह ही आपको हिचकी आने लगती है.
हिचकी आने का कारण क्या है ?
हिचकी आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे-
1 .अधिक मसालेदार भोजन करना- जो लोग अधिक मसालेदार भोजन करते हैं या अधिक तली हुई चीजों का सेवन करते हैं तो उन्हें हिचकी आती है.
2 .पानी बहुत कम पीना- बहुत कम पानी पीना भी हिचकी आने के कारणों में शामिल है क्योंकि कम पानी पीने की वजह से गला सूखने लगता है जिससे हिचकी आने लगती है.
3 .चबाकर खाना नहीं खाना- जो लोग एक बार में बहुत ज्यादा खाना खाते हैं और अपने दांतों से खाना को सही ढंग से नहीं चबाते हैं और निकल जाते हैं तो उन्हें भी हिचकी आने की समस्या हो जाती है.
4 .शीतल जल से स्नान करना- नाक में धूलकण, धुंआ, अधिक परिश्रम करने तथा मल मूत्र आदि व भूख- प्यास आदि को रोकने या अधिक शीतल जल से स्नान करने से भी हिचकी आती है.
5 .मादक पदार्थों का सेवन- बियर, सोडा और यहां तक कि स्पार्कलिंग पानी जैसे पेय अधिक सेवन करना है भी हिचकी का कारण बन सकता है.
6 .ज्यादा हंसना- हंसना सेहत के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है लेकिन ज्यादा हंसना असामान्य उत्तेजना हवा के अत्यधिक निगलने के कारण होती है जो हिचकी का कारण बन सकती है.
7 .विभिन्न तापमान पर खाद्य पदार्थ- बहुत ठंडा होने पर या बहुत गर्म खाद्य पदार्थ खाने से भी डायाफ्राम की अनैच्छिक ऐंठन हो सकती है और हिचकी उत्पन्न कर सकती है.
8 .गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल रोग- रिफ्लक्स, एसोफैगिटिस और लैरिंगाइटिस कुछ ऐसी बीमारियां है जो आमतौर पर हिचकी के लक्षण के रूप में होती है.
हिचकी के लक्षण क्या है ?
* हिचकी आने के पहले गले एवं हृदय में भारीपन महसूस होता है. मुंह में कसैलापन व पेट में गुड़गुड़ाहट होती है. जब हिचकी आती है तो सिर तथा गर्दन में कंपन होता है.हिचकी क्या है जाने कारण लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय
* कभी-कभी यह ह्रदय, सिर एवं मर्म स्थान यानी शरीर का वह कोमल स्थान जहां प्रहार होना व्यक्ति के लिए घातक होता है, में दर्द के साथ पूरे शरीर में कंपन उत्पन्न करती हुई निरंतर हिक- हिक आती रहती है.
हिचकी दूर करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय-
1 .एक गिलास हल्का गर्म पानी पीने से हिचकी दूर हो जाती है.हिचकी क्या है जाने कारण लक्षण एवं घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय
2 .सोठ डालकर पकाया हुआ बकरी का दूध पीने से हिचकी दूर होती है.
3 .पीपल, मुनक्का तथा नागरमोथा का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हिचकी दूर होती है.
4 .नींबू का रस, शहद तथा काला नमक मिलाकर पीने से हिचकी दूर होती है.
5 .रेणुका, पीपल के चूर्ण को क्वाथ बनाकर हींग डालकर पीने से निश्चय ही हिचकी आना बंद हो जाती है.
6 .हींग और उड़द का चूर्ण मिलाकर निर्धूम अग्नि पर धूम्रपान करने से हिचकी से राहत मिलती है.
7 .मैनसिल, गाय का सिंग अथवा कूठ या राल या कुशा का धूम्रपान करने से हिचकी दूर होती है.
8 .मूंगा, शंख, हरड़, बहेड़ा, आंवला, पीपल तथा गेरू सभी का चूर्ण बनाकर शहद तथा घी में मिलाकर चाटने से हिचकी तुरंत बंद हो जाती है.
9 .कांस की जड़ को पीसकर शहद मिलाकर चाटने से दु:साध्य हिचकी शांत होती है.
10 .स्त्री के दूध में लाल चंदन घिसकर सूंघने से हिचकी शांत होती है.
11 .मोर पंख की चांद को जलाकर शहद में मिलाकर चटाने से हिचकी बंद होती है.
12 .मुलेठी, शहद अथवा पीपल, मिश्री अथवा सोठ, गुड़- इन तीनों में से किसी एक को सूंघने से हिचकी दूर होती है.
13 .पीपल का चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से बुखार से उत्पन्न हुई हिचकी बंद हो जाती है.
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