आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने का सही समय और नियम क्या है?

कल्याण आयुर्वेद- मरना कोई नही चाहता लेकिन मृत्यु को रोकना किसी के हाथ में नही होती है इसलिए एक दिन हर किसी को मरना पड़ता है लेकिन हम चाहें तो अकाल मृत्यु को रोक सकते हैं लेकिन कैसे चलिए इस लेख में जानते हैं विस्तार से.

आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने का सही समय और नियम क्या है?

दोस्तों हमारा शरीर प्राकृति का ही एक अंग हैं इसलिए मनुष्य की खाने-पीने की तौर-तरीका प्राकृतिक रूप से होनी चाहिए. मानव ने प्राकृति के हर एक क्रियाकलाप को समझा उसके बारे में कल्पना की और साथ में खुद को समायोजित भी किए लेकिन अधिक बुद्धिजीवी होने के कारण प्राकृतिक के नियमों से ही  खुद को दूर करते गए जिसका परिणाम ये हुआ कि सब कुछ होते हुए भी वह रोगी होते गए और न वह स्वस्थ्य रह पाए. जिसका सबसे बड़ा कारण हैं मनुष्य की खाने-पीने की तौर-तरीके एवं रहन सहन.

यदि मानव कम-से-कम भोजन करने का भी सही समय निर्धारित कर लें और खाना खाने का सही नियमों का पालन कर लें तो वह हमेशा निरोग रह सकते हैं. अभी हम आयुर्वेद के अनुसार खाना- खाने की सही समय और उनके नियमों के बारे में प्रमुख जानकारियां प्रस्तुत कर रहे हैं.

यह शरीर है कभी भी कुछ भी खा लेने के लिए नहीं है इनके कुछ नियम हैं महर्षि वागवट जी के अनुसार भोजन तभी करना चाहिए जब पेट के जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र हो , यदि ऐसा करते हैं तो आपका खाया हुआ भोजन का एक-एक हिस्सा पाचन में जाता हैं और रस में बदलकर इससे मिलने वाली ऊर्जा शरीर के हर एक अंगों तक बहुत आसानी से पहुँच जाती हैं. जिससे हमारे शरीर का क्रियाकलाप हमेशा सामान्य रहता हैं और सभी अंग ऊर्जावान एवं स्वस्थ्य रहते हैं.

मनुष्य की जठर अग्नि सबसे ज्यादा किस समय में तीव्र रहता हैं तो- जठर अग्नि सुबह के समय सबसे ज्यादा तीव्र रहते हैं , जब सूर्य का उदय होता हैं तो सूर्य के उदय होने से लगभग ढाई घंटे तक जठर अग्नी सबसे ज्यादा तीव्र होती है यदि इस समय भोजन करते हैं तो सबसे उत्तम हैं. अर्थात आपको सुबह 9:30 बजे तक में भरपूर भोजन कर लेना हैं इसके बाद नहीं , कोइ नाश्ता की आवश्यकता नहीं हैं. यदि नाश्ता करना ही हैं तो हल्के- फुल्के शाम का समय निर्धारित कर सकते हैं . आपको जो भी खाना पसंद हैं सुबह के समय ही पेट- भर के खा लीजिए यदि आप सुबह खाना भर पेट खाते हैं तो अन्न का एक- एक टुकड़ा या एक-एक पोषक तत्व आपके शरीर के लिए बहुत उपयोगी होगा.

हमें सुबह में ही खाना क्यों  खानी चाहिए ?

आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने का सही समय और नियम क्या है?
खाये हुए भोजन को पचाने का कार्य पेट के जठर अग्नि का होता हैं. हम जो भी खाते हैं उसका ठीक तरह से पचना बहुत आवश्यक होता हैं क्योंकि जितना अच्छा से खाना पचता हैं उतना ही हमारे शरीर के लिए फायदेमंद रहता हैं इसलिए यदि भोजन सुबह में कर लेते हैं तो वह बिलकुल आसानी से पच जाता हैं अतः हमें भोजन सुबह में ही भर पेट खा लेना चाहिए जितना मन करे उतना खा लीजिए. जब पेट में खाना जाती हैं तो दो बाते होती हैं-पहला खाना पचता हैं या वह सड़ता हैं जो खाना सड़ता हैं वह शरीर के लिए जहर बन जाता हैं और जो खाना सही से पच जाता हैं वह शरीर के लिए अमृत बन जाता हैं. 

जठर अग्नि  के काम करने का सबसे अच्छा समय है 7:00 से 9:30 सूर्य उदय से ढाई घंटे तक का समय रहता हैं क्योंकि जठर अग्नि का सम्बन्ध सूर्य के प्रकश से हैं. शरीर के हर एक भागों के कार्य करने का अपना एक समय होता हैं जैसे – हृदय के कार्य करने का समय ब्रह्म मुहूर्त से ढाई घंटे पहले होता हैं इस समय में हृदय सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं अर्थात प्रकृति ने सब के कार्य के लिए एक निश्चित समय निर्धारित किए हैं.

अब दोपहर , शाम एवं रात का भोजन किस प्रकार करना चाहिए ?

मान लीजिए की आप सुबह में 6 रोटी खाते हैं तो दोपहर को 4 रोटी खा लीजिए और शाम को 2 रोटी खाइये इस अनुपात में आप अपने भोजन को निर्धारित कर सकते हैं अर्थात आप जो भी खायेंगें उसे आप इसी अनुपात में बाट लीजिए. भोजन करते समय पेट एवं मन की संतुष्टि बहुत जरूरी हैं और पेट की संतुष्टि से मन की संतुष्टि बड़ी हैं , मन संतुष्ट होते हैं तो तन की भी संतुष्टि होती हैं. आज के भाषा में मन को पीनियल ग्लैंड के द्वारा गिनते हैं , पीनियल ग्लैंड से बहुत सारा रस निकलता हैं जिसको हार्मोन्स कहा जाता हैं जो संतुष्टि के लिएआवश्यक होता हैं. यदि आपको भोजन से संतुष्टि मिलती हैं तो पीनियल ग्लैंड सबसे ज्याद सक्रीय होते हैं और इनसे निकलने वाले हार्मोन्स और एंजाइम सामान्य रूप से निकलते रहते हैं जिससे हमारे शरीर को बहुत फायदा मिलते हैं और हम स्वस्थ्य रहते हैं. यदि आप तृप्त भोजन नहीं होते हैं तो आपको मानसिक रोग उत्पन्न हो सकते हैं महर्षि वागवट जी कहते हैं की यदि आप भोजन से तृप्ति नहीं होते हैं तो 27 प्रकार के रोग हो सकते हैं.

जानवर पशु पक्षियाँ आदि सबसे अधिक सुबह को ही खाना खाते हैं इसलिए वह कभी बीमार नहीं पड़ते हैं यदि पड़ते भी होंगें तो दूषित पर्यावरण के कारण वह भी न के बराबर देखने को मिलते हैं.

किन दो खाद्य पदार्थो को एक साथ नहीं खाना चाहिए ?

आप  जब भी आप खाना खाए दो ऐसी विरुद्ध वस्तुएं एक साथ ना खाएं जिनका गुण और स्वभाव एक दूसरे के विपरीत हो. इस प्रकार के पदार्थ निम्नलिखित हैं.

प्याज और दूध दोनों एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं अतः दूध और प्यार को एक साथ में कभी नहीं खाए. यदि एक साथ खाते हैं तो इससे त्वचा रोग होते हैं जैसे – दाद , खाज , खुलजी , एग्जिमा आदि , इसलिए दूध के साथ प्याज नहीं खाइए. 

दूध और दही को एक साथ नहीं खाए. दूध क्षारीय हैं तथा दही अम्लीय हैं  यदि साथ में खाते हैं तो कई रोग उत्पन्न होंगें. हाँ दही के साथ प्याज भरपूर खा सकते हैं अर्थात दही और प्याज एक साथ खाइए.

शहद के साथ घी कभी नहीं खानी चाहिए. यह एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं और जब शहद और घी आपस में मिलते हैं तो जहर बन जाता हैं जिससे मनुष्य की मृत्यु भी हो सकता हैं.

काली उड़द की दाल को दही के साथ कभी नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा मूँग ,अरहर , चने , मसूर , खेसारी आदि की दाल को दही के साथ खा सकते हैं. चने की दाल की दोस्ती दही से बहुत अच्छा हैं. हाँ यदि उड़द की दाल खाना ही हैं तो एक घंटे का अंतर रखें.

दही के साथ नमक नहीं खाना चाहिए , दही को हमेशा मीठी चीजों के साथ खा सकते हैं.

दूध के साथ नमक नहीं खाना चाहिए हाँ यदि खाना ही हैं तो काला नामक खा सकते हैं.

खट्टे फलों के साथ कभी भी दूध नहीं खाना चाहिए , इसके साथ दही लस्सी आदि ले सकते हैं. 

मूली को दूध के साथ नहीं खाना चाहिए.

केला के साथ दूध खा सकते हैं जो बहुत ऊर्जावान होता हैं इसलिए आप दूध के साथ केला आवश्य खाइए.

कटहल के साथ दूध को नहीं खा सकते हैं  क्योंकि इसमें हाई प्रोटीन होते हैं.

गर्म खाना खाने के बाद आइसक्रीम जैसे ठंडी चीज कभी नहीं खानी चाहिए. अर्थात गर्म खाने के बाद ठंडे चीज नहीं खाइए और यदि खाना ही हैं तो एक घंटे का अंतराल लीजिए.

 निष्कर्ष – अभी आपको “आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने का सही समय क्या है?” इसके बारे में जानकारियां दी गई. यदि आप दिए  गए नियमों का पालन करते हैं तो हमेशा आवश्यक स्वस्थ्य रहेंगें. इस भाग दौड़ के जिंदगी में लोग अपने शरीर पर ही ध्यान नहीं देते हैं , आप कितना भी धन कमा लीजिए यदि आप स्वस्थ्य नहीं हैं तो वह धन कोइ काम का नहीं हैं और उसी धन  को डॉक्टर को देकर शरीर को ओर बर्बाद कर लेते हैं और जीवन भर दवा खाते रहते हैं. आपने अपने आस पास कुछ ऐसे रोगी को देखें होंगें जो हमेशा दवा खाते रहते हैं खास कर BP के रोगी को रोज दवा खाते रहने की सलाह दी जाती हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे भी रोग होते हैं जिसे नियंत्रित रखने के लिए रोज दवा लेना पड़ता हैं. कभी आपने सोचा हैं की ऐसा क्यों होता हैं. इसका कारण हैं -खान- पान. आप हर रोज खाना तो खाते ही हैं लेकिन उसी खाना को सही समय पर नहीं खाते हैं. जिसका परिणाम यह होता हैं कि शरीर में विभिन  रोग पनपने लगते  हैं जो कुछ समय के बाद अपना प्रभाव दिखाने लग जाते हैं. कोइ भी रोग एक दिन में बड़ा नहीं होता हैं या एक दिन में ही वह दिखाई नहीं देता हैं यदि आज आप अपना दिनचर्या खराब करते हैं तो इसका प्रभाव कुछ दिनों में देखने को मिल जायेंगें.  इसी प्रकार आप अपने खाने – पीने की  तरीका सही नहीं करते हैं तो कुछ साल बीतने के बाद आपके शरीर में कई रोग प्रवेश करने लगते हैं. अब तो लोगों को बी पी , डायबिटीज  , एसिडिटी, कब्ज जैसे बीमारी आम सी हो गई हैं. 

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