गरुण पुराण के अनुसार पत्नी के यह 4 गुण, पति को बनाते हैं बेहद भाग्यशाली

हिन्दू धर्म में पत्नी को अद्धांगिनी कहा जाता है। पति-पत्नी का रिश्ता आपसी समझ और विश्वास का होता हैं। इसी के साथ पत्नी को घर की लक्ष्मी भी कहा जाता हैं। गरुण पुराण में पत्नी के कुछ गुणों के बारे में उल्लेख किया गया है, अगर यह गुण किसी व्यक्ति की पत्नी में है तो समझ लीजिए कि पति बहुत ही भाग्यशाली साबित होगा, पत्नि के यह गुण पति को किस्मत वाले बनाते हैं.

गरुण पुराण के अनुसार पत्नी के यह 4 गुण, पति को बनाते हैं बेहद भाग्यशाली

महाभारत में भी भीष्म पितामह ने यह कहा था कि अपनी पत्नी को हमेशा खुश रखना चाहिए, अगर आपकी पत्नी खुश रहेगी तो आपके घर में खुशियां बनी रहेंगी और धन की देवी माता लक्ष्मी जी हमेशा आपके घर में निवास करेंगी। धन की देवी माता लक्ष्मी जी हमेशा आपके घर में निवास करेंगी। गरुड़ पुराण में भी पत्नी के कुछ गुणों का वर्णन किया जाता हैं और जिस पत्नी में ये गुण होते हैं, उनके पति को भाग्यशाली माना जाता हैं।

1 .गृह कार्य में दक्ष यानी घर संभालने वाली, जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर को सजाना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, जो पत्नी अपनी जिम्मेदारी को ठीक प्रकार से निभाती है, अपने पति के साथ-साथ घर के सभी सदस्यों का ठीक प्रकार से ख्याल रखती है।

घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में ही गृहस्थी चलाना आदि कार्यों में निपुण होती है, उसे ही गृह कार्य में दक्ष माना जाता है। ये गुण जिस पत्नी में होते हैं, वह अपने पति की प्रिय होती है। ऐसी पत्नी पति के लिए सौभाग्यशाली कहलाती है।

2 .पतिपरायणा यानी पति की हर बात मानने वाली, जो पत्नी अपने पति को ही सर्वस्व मानती है तथा सदैव उसी के आदेश का पालन करती है, उसे ही धर्म ग्रंथों में पतिव्रता कहा गया है। गरुण पुराण के अनुसार जो पत्नी अपने पति को ही सब कुछ मानती है और हमेशा अपने पति की कही गई बात का पालन करती है, ऐसी पत्नी अपने पति के लिए बहुत सौभाग्यशाली मानी जाती है।

भूल कर भी कभी पति का दिल दुखाने वाली बात नहीं कहती। यदि पति को कोई दुख की बात बतानी हो तो भी वह पूर्ण संयमित होकर कहती है। हर प्रकार के पति को प्रसन्न रखने का प्रयास करती है। पति के अलावा वह कभी भी किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती। धर्मग्रंथों में ऐसी ही पत्नी को पतिपरायणा कहा गया है।

3 .प्रियवादिनी- यानी मीठा बोलने वाली, पत्नी को अपने पति से सदैव संयमित भाषा में ही बात करना चाहिए। संयमित भाषा यानी धीरे-धीरे व प्रेमपूर्वक। पत्नी द्वारा इस प्रकार से बात करने पर पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है व उसके इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है। पत्नी को अपने पति से सदैव संयमित भाषा में ही बात करना चाहिए।

पति के अलावा पत्नी को घर के अन्य सदस्यों जैसे- सास-ससुर, देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी, ननद आदि से भी प्रेमपूर्वक ही बात करनी चाहिए। बोलने के सही तरीके से ही पत्नी अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों के मन में अपने प्रति स्नेह पैदा कर सकती है। ऐसी पत्नियां अपने पति के लिए भाग्यशाली साबित होती है।

4 .धर्मपालक- यानि धर्म का पालन करने वाली, गरुण पुराण में पत्नी का यह गुण बताया गया है कि पत्नी धर्म का पालन करने वाली होनी चाहिए। पत्नी का सबसे पहले यही धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित ना हो। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो पत्नी प्रतिदिन स्नान कर पति के लिए सजती-संवरती है, कम खाती है, कम बोलती है तथा सभी मंगल चिह्नों से युक्त है।

जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है तथा अपने पति का प्रिय करती है, उसे ही सच्चे अर्थों में पत्नी मानना चाहिए। जिसकी पत्नी में यह सभी गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र ही समझना चाहिए। ऐसे पत्नी पति के लिए सौभाग्यशाली कहलाती है। पत्नी के हर गुण को पति के लिए सौभग्यशाली माना जाता है, उपर्युक्त सभी गुण धार्मिक शास्त्रों के आधार पर वर्णित है। अपनी पत्नी को हमेशा खुश, व आदर सत्कार से रखे- माता लक्ष्मी स्वयं आप पर कृपा बनाये रखेगी। धन्यवाद।

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