मलेरिया के लक्षण, प्रकार, कारण, घरेलु उपचार और बचाव

कल्याण आयुर्वेद- मलेरिया रोग एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने से होता है। इस प्रजाति के मच्छर बारिश के मौसम में अधिक होते है। क्यूंकि बारिश का पानी अधिक दिनों तक जमा होने की वजह से दूषित हो जाता है और यही इसी प्रजाति के मच्छर की उत्पत्ति होती है। मलेरिया के मच्छर के काटने की वजह से व्यक्ति को बुखार और सिर दर्द आना शुरू हो जाता है। कभी कभी यह बुखार कम हो जाता है तो दुबारा आ जाता है। एनाफिलीज मादा मच्छर के काटने की वजह से इसका डंक का जीवाणु रोगी के रक्त में प्रवेश करके कोशिकाओं को प्रभावित करता है। उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटीबंधिय क्षेत्रों जिसमे सब सहारा अफ्रीका और एशिया के अधिकतर देश शामिल है यहां मलेरिया रोग पाया जाता है। भारत देश में यह रोग पूरे वर्ष पाया जाता है लेकिन बारिश के मौसम के समय इसका संक्रमण अधिक हो जाता है।

मलेरिया के लक्षण, प्रकार, कारण, घरेलु उपचार और बचाव

मलेरिया के लक्षण-

मलेरिया के लक्षण अधिक है लेकिन एक ही मरीज में सभी ये लक्षण दिखाई दे यह जरूरी नहीं है।

1.  बुखार आना 

2.  सिर दर्द होना

3.  उल्टी होना

4.  मन का मचलना

5.  ठंड लगना

6.  चक्कर आना

7.  थकान लगना

मलेरिया परजीवी के प्रकार-

मलेरिया परजीवी पांच प्रकार के होते है।

1. प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम: यह मलेरिया परजीवी आमतौर पर अफ्रीका में पाया जाता है इसकी वजह से रोगी को ठंड लगने के साथ सिर दर्द भी होता है 

2. प्लास्मोडियम विवैक्स:- यह विवैक्सी परजीवी दिन के समय में काटता है और इसका असर 48 घंटे बाद दिखना शुरू होता है इस रोग की वजह से सर में दर्द होना, हाथ - पैरो में दर्द होना, भूख न लगना और तेज बुखार भी रहता है। 

3. प्लास्मोडियम ओवेल:- यह असामान्य परजीवी है और यह पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है इसमें रोगी में लक्षण के उत्पादन के बिना यह अनेक वर्षों तक लिवर में रहे सकता है।

4. प्लास्मोडियम मलेरिया :- यह मलेरिया प्रोटोजोआ का एक प्रकार है। इस रोग की वजह से रोगी को प्रत्येक चौथे दिन बुखार आने लगता है और शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम होने की वजह से शरीर में सूजन आने लगती है।

5. प्लास्मोडियम नॉलेसि: यह परिजिवी आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है और यह एक प्राइमेट मलेरिया परजीवी है। इसमें रोगी को ठंड लगने के साथ बुखार आता है और रोगी को सिर दर्द, भूख न लगना, बुखार जैसे परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

किस मच्छर की वजह से मलेरिया फैलता है?

मलेरिया मादा एनोफिल्स मच्छरों के काटने से फैलता है इस प्रजाति के मच्छर शाम या रात को काटते है जिसकी वजह से तेज बुखार आना, सिर दर्द होना, ठंड लगना आदि जैसे लक्षण रोगी में दिखाई देते है। एनॉफ्लिस मच्छर के काटने से तभी मलेरिया फैलता है जब वह पहले मलेरिया संक्रमित रोगी के खून से संक्रमित हुए हो।

मलेरिया होने के कारण-

1. एनॉफ्लिस मादा मच्छर मलेरिया रोग का प्रमुख कारण है। जिसे प्लास्मोडियम भी कहा जाता है, भारत देश में सबसे ज्यादा मलेरिया के संक्रमण प्लास्मोडियम वीवैक्स और प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होता है।

2. यदि एनॉफ्लिस मच्छर किसी मलेरिया संक्रमित रोगी को काटने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति को काटता है तो दूसरे व्यक्ति के शरीर में भी मलेरिया के जीवाणु प्रवेश हो जाते है

3. मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के रक्त का आदान प्रदान की वजह से भी मलेरिया रोग होता है।

4. यदि यह मलेरिया परजीवी रोगी के लिवर में प्रवेश करता है तो वह कम से कम एक वर्ष या कुछ वर्ष तक रोगी के लिवर में रह सकता है।

मलेरिया से बचने के उपाय-

मलेरिया के लक्षण, प्रकार, कारण, घरेलु उपचार और बचाव
मलेरिया से बचने के लिए कई उपाय है लेकिन मलेरिया को रोकने व बचने के लिए मच्छरों को पनपने ना दे।

1 मलेरिया के मच्छर अधिकतर शाम या रात को काटते है इसलिए इस समय संभव हो तो घर में ही रहे।

2 मलेरिया से बचने के लिए उन कपड़ों का उपयोग करे जो शरीर के अधिकांश हिस्से को ढक सके।

3 घर के आस पास बारिश के पानी या गंदे पानी को जमा ना होने दे। क्यूंकि इसमें मलेरिया के जीवाणु पैदा होने का खतरा रहता है।

4 यदि किसी व्यक्ति के शरीर में बुखार तेजी से बढ़ रहा है तो उसे किसी डॉक्टर की सलाह व जांच करवानी चाहिए।

5 मलेरिया रोग की संभावना को कम करने के लिए एंटिमलेरियल दवा लेनी चाहिए।

मलेरिया का निदान-

1 मलेरिया रोगी के शरीर से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और इसी सैंपल से ब्लड स्मियर तैयार किया जाता है।

2 ब्लड स्मियर में मलेरिया परीजिवी की अनुपस्थिति के कारण यदि डॉक्टर को शंका है तो वह अगले 36 घंटो तक 8 से 12 घंटे में दुबारा परीक्षण करना चाहिए।

3 मलेरिया परजीवी की संख्या रक्त में कम या ज्यादा हो रही है तो इसकी जांच डॉक्टर द्वारा की जाती है।

4 आनुवंशिक और रक्त परीक्षण विशेष तरह के दाग का उपयोग करके परजीवी की उपस्थिति को दर्शाते है।

मलेरिया का घरेलु इलाज-

ज्यादात्तर लोग मलेरिया बुखार से निजात पाने के लिए खरेलू नुस्खों पर ज्यादा भरोसा करते हैं। क्योंकि दादी- नानी के समय से जो नुस्खे चले आ रहे हैं वो आज भी उतने ही कारगर हैं जितने पहले हुआ करते थे। तो चलिए जानते हैं मलेरिया से छुटकारा पाने में कौन-कौन से घरेलू नुस्खे ज्यादा फायदेमंद हैं- 

1.अदरक और किशमिश- 

अदरक तो कई मर्ज की दवा है। मलेरिया (Malaria) में भी अदरक फायदेमंद माना जाता है। एक इंच अदरक के टुकड़े में 2 चम्मच किशमिश डालकर उसे एक गिलास पानी में उबाल लें, जब ये मिश्रण उबलकर आधा बच जाए तो गुनगुना कर के दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करें। 

2.तुलसी के पत्ते और काली मिर्च- 

तुलसी के पत्ते भी मलेरिया में फायदेमंद माने जाते हैं। 10 ग्राम तुलसी के पत्ते लें उसमें 7 से 8 काली मिर्च के दाने मिलाकर पीस लें इसमें थोड़ा शहद मिलाकर सुबह-शाम इसका सेवन करें। इससे बुखार में आराम मिलता है। 

3.गिलोय के पत्ते-

डेंगू और मलेरिया में लोग गिलोय  (Home Remedies for Malaria) का काफी इस्तेमाल करते हैं ये संक्रमण को खत्म करने में मदद करता है। इसके लिए 30 से 40 ग्राम गिलोय को कूटकर पानी में मिलाकर रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह उठकर इसे छान लें और दिन में 2 से 3 बार इसका सेवन करें। 

4.नीम के पत्ते- 

नीम के पत्ते का जूस आपको मलेरिया से निजात पाने में मदद करेगा। इसके लिए आपको 3 से 4 नीम के पत्तों को 2 काली मिर्च के साथ पिसना है और थोड़े से पानी में मिलाकर उबालना है। उबले हुए पानी को सूती कपड़े की मदद से छानें और इसका सेवन करें। 

5. दालचीनी- 

दालचीनी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं ये एंटी-पैरासिटिक गुणों से भरपूर होता है जो मलेरिया में होने वाले दर्द से छुटाका दिलाने में मदद करता है। मलेरिया होने पर दालचीनी को पानी में उबालकर शहद के साथ इसका सेवन किया जा सकता है। 

मलेरिया में खानपान-

* तुलसी की चाय पिएं इसमें काली मिर्च और अदरक ज़रूर डालें।

* खाने में हल्का आहार लें जैसे – साबुदाना, खिचड़ी, दलिया आदि। 

* फलों में आप सेब, अमरूद, पपीता आदि का सेवन करें। 

* ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों (malaria food) का सेवन करें। 

* रोज़ाना सुबह  एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू और एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं। 

मलेरिया रोग से होने वाले नुकसान-

1. सेरेब्रल मलेरिया: यह कोमा का कारण भी हो सकता है क्यूंकि जब रक्त कोशिकाओं में परजीवी भरी हुई रहती है तो वह रोगी के मस्तिष्क में छोटी रक्त वाहिकाओं को ब्लॉक कर देती है जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आना व मस्तिष्क के हिस्सों में क्षति होने का खतरा रहता है।

2. सांस लेने में दिक्कत आना:- सांस लेने की समस्या फेफड़ों में संचित द्रव के कारण होती है।

3. शरीर के अंग का विफल होना:- मलेरिया की वजह से रोगी के गुर्दे, जिगर व स्प्लीन अंग विफल हो सकते है। यह स्तिथि जानलेवा साबित हो सकती है।

4. एनीमिया होना: लाल रक्त की कोशिकाओं को मलेरिया नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से गंभीर एनीमिया होने का खतरा बना रहता है।

5. रक्त शर्करा का कम होना: मलेरिया रोग में रक्त शर्करा कम हो सकता है और कम रक्त शर्करा की वजह से रोगी कोमा में जा सकता है या मृत्यु भी हो सकती है।

Post a Comment

0 Comments